मानव शरीर की विधुतीय क्षमता
मानवीय काया की क्षमता एवं प्रभाव अद्भुत एवं आश्चर्यजनक है | सामान्य – सी दिखने वाली इस काया में हैरतअंगेज एवं चमत्कारी प्रभाव परिलक्षित होते है | कुछ इंसानों में इतनी अधिक विधुत होती है कि उन्हें विधुत मानव की संज्ञा के पुकारा जाता है | विधुत मानव आने वाले पदार्थो को प्रभावित करती है जैसे लोहे को छूने से उसमे करंट दोड़ने लगता है और लकड़ी को छूने से उसमे आग लग जाती है |
किसी व्यक्ति के शरीर में इतनी विधुतीय शक्ति संचित हो की उसके छूने भर से बिजली का बल्ब जगमगा उठे – यह बात भले ही अटपटी लगती है , पर है सच | यह सच मास्को निवासी लैरिन कैप के साथ घटित हुआ है | उसके शरीर में इतनी विधुतीय ऊर्जा है की पंखे का तार उसमे छु भर जाए तो पंखा स्वत चलने लगता है | यदि कैप माइक्रोवेव के तार को हाथ भर लगा दे तो वह चलने लगता है | वह कागज या रबर को इसलिय नहीं छूता क्योकि उसके छूने से वे जल जाते है | कैप के शरीर में प्रवाहित विधुत के साथ अद्भुत बात यह है की वह अपने अंदर की विधुतीय शक्ति को इच्छा अनुसार चालू या बंद कर सकता है |
इसी तरह इंग्लैंड के लन्दन शहर में रहने वाली महिला पोलिन शो को चलता फिरता बिजलीघर कहा जाता था उसके शरीर से २०० वाट का विधुत प्रवाहित होता था | उसकी विशेषता थी की वह यदि किसी बल्ब के नीचे से भी निकल जाय तो वह अपने आप ही जल उठता था | यह महिला विवाहित थी तथा इसकी तीन संताने थी , इसमें विधुतीय क्षमता इतनी जबरदस्त थी की जब भी वह किसी चीज को छुती तो उसमे से बिजली की चिंगारी निकलती और धमाके की आवाज सी होती पोलीन ने एक बार पानी से भरा एक्वेरियम छु लिया था इससे हाथ से इतना करेंट निकलकर एक्वेरियम में पहुंचा की सारी मछलियाँ वहीं मर गई | उसकी इसी विधुतीय क्षमता के कारण उससे हाथ मिलाना भी एक चुनौती थी क्योंकि हाथ मिलाने वाले को जबरदस्त झटका लगता था और वह दूर जा गिरता था |
विधुतीय क्षमता का ऐसा चमत्कार सर्बिया देश के निवासी स्लेविसा पैजकिक नामक व्यक्ति में भी देखा गया था वह अपने शरीर में से अत्यधिक विधुत को संचारित कर लेता था , परन्तु इस दौरान उसका शरीर सामान्य ही रहता था उसकी शारीरिक प्रतिरोधक क्षमता भारी मात्रा की विधुत को भी आसानी से झेल लेती थी उसके द्वारा बल्ब को छुते ही बल्ब जल उठता था तथा इसी तरह वह विधुत उपकरणों को भी जब चाहे तब चार्ज करने की क्षमता रखता था |
दक्षिण भारत का राजमोहन नायर भी ऐसा ही विधुत मानव है उसका शरीर सामान्य व्यक्ति के शरीर से दस गुना अधिक विधुत प्रतिरोधी है सामान्य व्यक्ति का शरीर जिस बिजली के झटके को सहन नहीं कर सकता उसी झटके को राजमोहन नायर का शरीर आसानी से झेल जाता है नायर को अपनी इस क्षमता का परिचय तब हुआ , जब वह अपनी माँ की मृत्यु का समाचार पाकर अत्यंत व्यतीत हो उठा | वह इतना अधिक परेशान हो गया था की उसने मरने की ठान ली | आत्महत्या के उद्देश्य से नायर अपने नजदीक के ट्रांसफार्मर पर चढ़ गया और उससे निकलने वाली तार पर लटक गया पर जब उसे उस विधुत – प्रवाह को कोई असर नहीं हुआ तो उसे महसूस हुआ की संभवता उसमे कोई विशेष शक्ति है | जब उसने अपनी इस क्षमता का प्रयोग घर के विधुत उपकरणों पर किया तो उसे ज्ञात हुआ की उसमे यह अद्भुत विधुत प्रतिरोधी शक्ति है |
मानव शरीर ऐसे ही अद्भुत क्षमताओ से परिपूर्ण है आवश्यकता है की उन क्षमताओं का परिचय मिले ,ताकि उनका सदुपयोग एवं नियोजन किया जा सके | अन्यथा इन क्षमताओं का चमत्कारी प्रदर्शन बाजीगरी के समान रह जाएगा | इन क्षमताओं का उपयोग जनकल्याण में हो,यही श्रेस्कर है |