एक बड़ा सुंदर सा शब्द है , सफलता , कामयाबी ,उन्नति या प्रगति ऐसे कई नाम है इसके | हमे बचपन से सिखाया जाता है की सफल बनो ,कामयाब बनो , लेकिन क्या होता है सफल होना ? कामयाब होना क्या मायने होते है कामयाबी के ,सफलता के या हम किसे सफल इंसान कहेंगे ?
हम जब अपने आस- पास के माहौल को देखते है तो हमे सिर्फ और सिर्फ अंधी दौड़ में बेमतलब दौड़ते -भागते इंसान ही नजर आते है छोटी -छोटी खुशियों को कुचलते नजर आते है |
आखिर इंसान पाना क्या चाहता है ,उसके जिन्दगी के मायने क्या है ?
मित्रो , यह जिन्दगी क्या है ? आप ने अक्सर इस जिन्दगी के बारे में अलग -अलग बाते सुनी होगी | किसी ने कहा जिन्दगी – एक संगर्ष है , किसी ने कहा युद्ध है , किसी ने कहा खेल है , किसी ने कहा जुआ है , किसी ने इसे कविता , किसी ने दर्शन कहा ..यानी जितने लोग उतनी ही बाते |
आपको क्या लगता है ? जीवन संगर्ष , युद्ध या कुछ और ?
मेरे हिसाब से , वास्तव में जिन्दगी एक खुबसुरत उत्सव है , आनन्द की यात्रा है , चेतनता की यात्रा है , सम्पूर्णता की यात्रा है , जिसका उधेश्य परमानन्द की प्राप्ति है , सर्व शक्तिमान में समा जाना है उस परमेश्वर ने हम सभी इंसानों को एक मकसद के लिए पैदा किया है , उस मकसद को पहचान कर उसी हिसाब से जीना हमारा कर्म है |
लेकिन अफ़सोस की बात यह है की अधिकतर लोग जिन्दगी के यथार्थ को नहीं समझते है वे बेमानी निरउधेश्य अपनी जिन्दगी गुजारते है ज्यादातर लोग अपने भविष्य के लिए बड़ी – बड़ी बाते करते है . बड़े -बड़े सपने देखते है | सब कामयाब बनना चाहते है ,अमीर होना चाहते है , सुखी होना चाहते है लेकिन यदि उनके सपने सच नहीं होते तो वे डिप्रेशन के शिकार हो जाते है | जिन्दगी से हार जाते है | वे जिन्दगी में हर बड़ी – और छोटी चीजो के साथ समझोता करना शुरू करते है | ऐसे लोग अपनी सफलता के लिए किस्मत को , कभी हालात को , तो कभी खुद को कोसते है ऐसे लोग लोग जिन्दगी नहीं जीते बल्कि जीवन का अपमान करते है |
हर इंसान के लिए सफलता के अलग -अलग मायने होते है लेकिन अधिकतर लोग भौतिक सुख को ही सफलता मान लेते है | मैंने एक सज्जन से पूछा क्या आप सुखी है , सज्जन ने कहा – मेरे पास बहुत बड़ा बंगला है , लाखो रूपये बैंक में है , गाडिया है , नौकर – चाकर है | मैंने फिर से पूछा क्या आप सुखी है ?
उन्होंने फिर उतर दिया – मेरे पास तीन -तीन कम्पनी है , बड़े – बड़े लोगो में उठना – बैठना है ,इसीलिए कह सकता हु में सुखी हूँ |
मैंने उनसे कहा लेकिन आपके चेहरे में तनाव है , शरीर में थकान है , आँखे बताती है की आप ठीक से सो नही पाते |
उन्होंने कहा – भाई कंपनी के काम इतने है की हम ठीक से सो नहीं पाते है , तो क्या हुआ ? सफल तो है सुखी तो है |
असल में ऐसे लोग सुखी नहीं होते , सफल नहीं होते और अगर आप भी इसे सफलता समझते है तो माफ़ कीजियेगा मगर आप गलत है – भौतिक सुख और सफलता के साथ – साथ नैतिक सफलता भी बहुत जरुरी है वर्ना जीवन में सब कुछ होते हुए भी कुछ नही होगा |
मेरा एक सवाल है जो मैं अक्सर लोगो से पूछता हूँ तो बड़ी हैरानी होती है की उनके पास इस सीधे से सवाल का कोई जवाब नहीं होता है , सवाल बहुत छोटा है परन्तु बहुत गंभीर है , सवाल है की क्या कभी आपने अपने बारे में सोचा है ? कोई वक्त , कोई पल जब आप सिर्फ अपनी सफलता , अपनी ख़ुशी , अपने स्वास्थ्य , अपने धन – दौलत के बारे में सोच रहे थे | हम सोचते तो है दुसरो के बारे में | कोई सोचता है माँ बाप , भाई बहन , पडोसी ,समाज , देश और दुनिया की खुशहाली , सुख समृधि के बारे में|
जिन्दगी के फिल्म जिसके हीरो आप स्वयं है वह कैसा होगा ? कैसा दिखेगा ? क्या करेगा ? आप हमेशा दुसरो के बारे में सोचते है , खुद को जानने , समझने के लिए किसी के पास समय नहीं है | बड़े ताज्जुब की बात है २ से ५ प्रतिशत लोग ही ऐसे है जो स्वयं के बारे में सोचते है बड़ी मजेदार बात है की सफ
लता का प्रतिशत भी इतना ही है २ से ५ प्रतिशत |