स्त्री मोक्ष का द्वार है

स्त्री मोक्ष का द्वार है

प्रस्तावना – सभी मनुष्यों का जीवन स्त्री के बिना अपूर्ण है | स्त्री को शक्ति का रूप माना जाता है | पुरुषो का स्वभाव आक्रमण का होता है और स्त्री का स्वभाव समर्पण का होता है | स्त्री अपने प्रेम को अनेक रूपों में अभिव्यक्त करती है जैसे – माँ और बच्चे का प्रेम , पति और पत्नी का प्रेम और भाई और बहिन का प्रेम इत्यादि . स्त्री नये जीवन को रूप और रंग प्रदान करती है और स्त्री ही सृजन करती है, स्त्री ही मोक्ष का का कारण बनती है | स्त्रियों की पूजा करके ही सभी जातियां बड़ी बनी है जिस देश में जिस जाति में स्त्रियों की पूजा न हो वह देश ,वह जाति न कभी बड़ी बन सकी और न कभी बन सकेगी |

स्त्री के स्वरूप –  वेद के अनुसार स्त्री के तीन स्वरूप बताए गए – कन्या के रूप , पत्नी के रूप , और माता के रूप में |

स्त्री मोक्ष का द्वार है –   दुनिया के ऐसे धर्म भी है जहाँ स्त्री को नरक का द्वार मानते है , ऐसे धर्म गुरुओ को स्त्री के रहस्य के बारे में कुछ भी पता नहीं होगा . तभी तो वे इस प्रकार की गलत शिक्षाए देते है . मेरा मानना यह है की स्त्री ही पुरुष के मोक्ष का कारण बनती है . कोई भी पुरुष या स्त्री जब तक अपनी कामवासना से मुक्त नहीं होते, तब तक वह परमात्मा के द्वार तक नहीं पहुँच सकते. मनुष्य को कामवासना से मुक्त होने के लिए पहले काम की ऊर्जा को सही तरह से समझ चाहिए | मनुष्य सदियों से काम की ऊर्जा से संघर्ष करता रहा है वो कभी इसे जानने का प्रयास ही नहीं किया है , काम की ऊर्जा ही एक मात्र शक्ति है जो दो दिशा में बहती है एक तो ऊपर की तरफ और दूसरी नीचे की तरफ , मनुष्य इस ऊर्जा को अधिकतर नीचे की तरफ ही बहा ता है जिसे हम आप तौर पर सम्भोग कहते है . यदि मनुष्य चाहे तो इस काम ऊर्जा को ऊपर के केन्द्रों पर भी रूपांतरित कर सकता है और परमानन्द की प्राप्ति कर सकता है . लेकिन तंत्र शास्त्र कहता है की स्त्री और पुरुष के सम्भोग के समय भी वे काम की ऊर्जा को प्रेम में रूपांतरित कर सकते है जब कोई स्त्री और पुरुष सम्भोग की अवस्था में एक प्रकाशमय वर्तुल का अनुभव प्राप्त करते है तब वे पूर्ण हो जाते है और काम से मुक्त हो जाते है, इसी कारण स्त्री के बिना हम कभी भी मुक्त नहीं हो सकते क्योंकि स्त्री ही हमारी शक्ति है और शक्ति और पुरुष के मिलन से ही वे पूर्ण की अवस्था प्राप्त कर सकते है .

उपसंहार – पुरुष ने कभी भी स्त्री को समझ नहीं पाया है और स्त्री के अद्भुत रहस्य को भी नहीं जान सका | परमात्मा ने स्त्री को पुरुष से कई ज्यादा शक्तिशाली बनाया है लेकिन पुरुषो ने सदियों से स्त्रीयों को कमजोर और नाजुक बनाया, जो भी इस धरती पर महात्मा हुए है चाहे वो गौतम बुद्ध या महावीर हो वे भली भांति स्त्री के रहस्य जानते थे तभी तो मुक्त हुए .

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *